मैं
करता हूँ तुमसे मोहब्बत,
अब
खुद को सताना बंद
करो !
देता
हूँ खूने ए दिल तुम्हे,
हाथों
में मेहंदी रचाना बंद करो !!
जो
हुये हैं गीले सिकवे ,
उनका
इल्जाम लगाना बंद करो !
मुझसे
बात करने का अब,
अपना
अंदाज पुराना बंद करो !!
मुझसे
यूँ ही रूठकर अब,
आंसुओं
को बहाना बंद करो !
जरा
चैन से सोने भी
दो,
अब
सपनों में आना बंद करो !!
मेरे
साथ ही रहकर अब,
मुझको
रुलाना अब बंद करो
!
जिन
बातों से चोट लगे,
उन
शब्दों को लाना बंद करो
!!
मेरी
मोहब्बत है सच्ची,
मुझको
आजमाना बंद करो !
इस
भीड़ भरे चौराहों में,
अब
आँख मिलाना बंद करो !!
दोस्तों
की बातें करके,
मुझको
जलाना अब बंद करो
!
जब
हाथ से हाथ मिले,
तो
हाथ दबाना अब बंद करो
!!
चोट सिर्फ शब्दों से ही नही लगती,
ReplyDeleteनिगाहों से भी चोट लगती है.. जनाब..
जब कोई देख कर भी अन्देखा कर देता है..!