Monday, 20 February 2017

बंद करो

मैं करता हूँ तुमसे मोहब्बत,
अब खुद को सताना बंद करो !
देता हूँ खूने दिल तुम्हे,
हाथों में मेहंदी रचाना बंद करो !!
जो हुये हैं गीले सिकवे ,
उनका इल्जाम लगाना बंद करो !
मुझसे बात करने का अब,
अपना अंदाज पुराना बंद करो !!
मुझसे यूँ ही रूठकर अब,
आंसुओं को बहाना बंद करो !
जरा चैन से सोने भी दो,
अब सपनों में आना बंद करो !!
मेरे साथ ही रहकर अब,
मुझको रुलाना अब बंद करो !
जिन बातों से चोट लगे,
उन शब्दों को लाना बंद करो !!
मेरी मोहब्बत है सच्ची,
मुझको आजमाना बंद करो !
इस भीड़ भरे चौराहों में,
अब आँख मिलाना बंद करो !!
दोस्तों की बातें करके,
मुझको जलाना अब बंद करो !
जब हाथ से हाथ मिले,
तो हाथ दबाना अब बंद करो !!

1 comment:

  1. चोट सिर्फ शब्दों से ही नही लगती,
    निगाहों से भी चोट लगती है.. जनाब..
    जब कोई देख कर भी अन्देखा कर देता है..!

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