तुम्हारी याद में खोकर बहकना खूब आता है ,
हकीकत में मुझे फिर भी संभलना खूब आता है !
तुम्हारी जान इस पानी के जिस मछली में बसती है ,
उसी मछली के जैसे अब मचलना खूब आता है !!
हकीकत में मुझे फिर भी संभलना खूब आता है !
तुम्हारी जान इस पानी के जिस मछली में बसती है ,
उसी मछली के जैसे अब मचलना खूब आता है !!
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