Wednesday, 11 January 2017

अर्सों के बाद मुलाकात जरुरी है समझता हूँ ,
मेरे बिन तेरी हस्ती अधूरी है समझता हूँ !
इन्तजार में जो सुख चुके हैं तेरे आँख केआँसू ,
उनके न निकलने की मज़बूरी मैं समझता हूँ !!

1 comment:

  1. खुद भी रोता है, मुझे भी रुला के जाता है..
    ये बारिश का मौसम, उसकी याद दिला के जाता हैं।

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